रख देंगे ज़िन्दगी तेरा...
जिस दिन किताब-ए-इश्क की तक्मील हो गई,
रख देंगे ज़िन्दगी तेरा... बस्ता उठा के हम।
##
ताल्लुक़ का बोझ...
तमाम उम्र ताल्लुक़ का बोझ कौन सहे
चाँद सा चेहरा...
घनी जुल्फों के साये में चमकता चाँद सा चेहरा,
तुझे देखूं तो कुछ रातें सुहानी याद आती हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
www.afazapne.blogspot.com is the best