सलीके की दाद दे...
मेरी मोहब्बत की न सही,
मेरे सलीके की तो दाद दे,
तेरा ज़िक्र रोज करते हैं
तेरा नाम लिए वगैर।
ज़िंदगी का इम्तिहान...
शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है,
हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है,
कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को,
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।
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