Ada Jafri ji ke geet:: Gajal :: Sher in hindi
Something About Ada Jafri ji: Regarded as the "The First Lady of Urdu Poetry", Ada Jafri managed to express herself at a time when the society was especially conservative towards women in poetry. She has mostly written ghazals and her works were an expression of her experiences as a wife and mother.
अदा जाफरी जी मशहूर उर्दू भाषा की कवयित्री व लेखिका थी जिन्होंने अपने जीवन काल में कई रचनाये लिखी है अदा जाफरी का जन्म 22 अगस्त 1924 बदायूं के उत्तर प्रदेश में तथा उनकी मृत्यु 90 साल की उम्र में 12 मार्च 2015 में पकिस्तान के कराची में हुई थी | अदा जाफरी जी को उनकी रचनाओं के लिए कई तरह के पुरुस्कारो से भी सम्मानित किया जा चूका है इसीलिए हम आपको इनके द्वारा लिखी गयी कुछ बेहतरीन शेरो शायरियो के बारे में जानकारी देते है जो की आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है जिन्हे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है |
अदा जाफरी जी मशहूर उर्दू भाषा की कवयित्री व लेखिका थी जिन्होंने अपने जीवन काल में कई रचनाये लिखी है अदा जाफरी का जन्म 22 अगस्त 1924 बदायूं के उत्तर प्रदेश में तथा उनकी मृत्यु 90 साल की उम्र में 12 मार्च 2015 में पकिस्तान के कराची में हुई थी | अदा जाफरी जी को उनकी रचनाओं के लिए कई तरह के पुरुस्कारो से भी सम्मानित किया जा चूका है इसीलिए हम आपको इनके द्वारा लिखी गयी कुछ बेहतरीन शेरो शायरियो के बारे में जानकारी देते है जो की आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है जिन्हे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है |
Ada Jafri Shayari Urdu
ख़ामुशी से हुई फ़ुग़ाँ से हुई
इब्तिदा रंज की कहाँ से हुई
अगर सच इतना ज़ालिम है तो हम से झूट ही बोलो
हमें आता है पतझड़ के दिनों गुल-बार हो जाना
आ देख कि मेरे आँसुओं में
ये किस का जमाल आ गया है
Ada Jafri 2 Line Poetry
कोई ताइर इधर नहीं आता
कैसी तक़्सीर इस मकाँ से हुई
काँटा सा जो चुभा था वो लौ दे गया है क्या
घुलता हुआ लहू में ये ख़ुर्शीद सा है क्या
कटता कहाँ तवील था रातों का सिलसिला
सूरज मिरी निगाह की सच्चाइयों में था
Ada Jafri Best Poetry Images
वर्ना इंसान मर गया होता
कोई बे-नाम जुस्तुजू है अभी
तू ने मिज़्गाँ उठा के देखा भी
शहर ख़ाली न था मकीनों से
अभी सहीफ़ा-ए-जाँ पर रक़म भी क्या होगा
अभी तो याद भी बे-साख़्ता नहीं आई
Shayari of Ada Jafri
दिल के वीराने में घूमे तो भटक जाओगे
रौनक़-ए-कूचा-ओ-बाज़ार से आगे न बढ़ो
एक आईना रू-ब-रू है अभी
उस की ख़ुश्बू से गुफ़्तुगू है अभी
गुल पर क्या कुछ बीत गई है
अलबेला झोंका क्या जाने
अदा जाफ़री शेर इन हिंदी
बड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैं
सहर की राह तकना ता सहर आसाँ नहीं होता
जिस की बातों के फ़साने लिक्खे
उस ने तो कुछ न कहा था शायद
जिस की जानिब ‘अदा’ नज़र न उठी
हाल उस का भी मेरे हाल सा था
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
www.afazapne.blogspot.com is the best