हमारे दिल में भी...

हमारे दिल में भी...

हमारे दिल में भी झांको अगर मिले फुर्सत, 
हम अपने चेहरे से इतने नज़र नहीं आते।






मेरे वजूद की हद...

मेरे वजूद की हद...

मुझको मेरे वजूद की हद तक न जानिए, 
बेहद हूँ बेहिसाब हूँ बेइन्तहा हूँ मैं।


प्यार की कदर...

प्यार की कदर...

न थी जिसको मेरे प्यार की कदर, 
इत्तेफ़ाक से उसी को चाह रहा था मैं, 
उसी दिए ने जलाया मेरे हाथ को, 
जिस को हवा से बचा रहा था मैं।




कुछ तो तेरे मौसम...

कुछ तो तेरे मौसम...

कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास कम आए, 
और कुछ मेरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी।





जाम होठों से लगाकर...

पीना काम आ गया...

लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी बाँहों मे, 
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया।

जाम होठों से लगाकर...

कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर, 
तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ।






रख देंगे ज़िन्दगी तेरा...

रख देंगे ज़िन्दगी तेरा...

जिस दिन किताब-ए-इश्क की तक्मील हो गई, 
रख देंगे ज़िन्दगी तेरा... बस्ता उठा के हम।
##

ताल्लुक़ का बोझ...

तमाम उम्र ताल्लुक़ का बोझ कौन सहे 
उसे कहो के चुका ले हिसाब कितने हैं।



चाँद सा चेहरा...

घनी जुल्फों के साये में चमकता चाँद सा चेहरा, 
तुझे देखूं तो कुछ रातें सुहानी याद आती हैं।




सलीके की दाद दे...

सलीके की दाद दे...

मेरी मोहब्बत की न सही, 
मेरे सलीके की तो दाद दे, 
तेरा ज़िक्र रोज करते हैं 
तेरा नाम लिए वगैर।


ज़िंदगी का इम्तिहान...

शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है, 
हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है, 
कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को, 
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।



हम भी कभी इंसान थे...

हम भी कभी इंसान थे...

एक दिन निकला सैर को मेरे दिल में कुछ अरमान थे, 
एक तरफ थी झाड़ियाँ... एक तरफ श्मशान थे, 
पैर तले इक हड्डी आई उसके भी यही बयान थे, 
चलने वाले संभल कर चलना हम भी कभी इंसान थे।

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पत्थरों से दुआ...

जब मोहब्बत को लोग खुदा मानते हैं. 
फिर क्यूँ प्यार करने वालों को बुरा मानते हैं, 
माना कि ये ज़माना पत्थर दिल है, 
फिर क्यूँ लोग पत्थरों से दुआ माँगते हैं?


नफरतें आम सही...

नफरतें आम सही...

नफरतें आम सही प्यार बढ़ा कर देखो, 
इस अँधेरे में कोई शम्मा जलाकर देखो। 

इस भटकती हुई दुनिया को मिलेगी मंज़िल, 
मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाकर देखो। 

ख्वाब-ए-आज़ादी को ताबीर भी मिल जाएगी, 
मेरा फरमान-ए -मोहब्बत तो सुनाकर देखो। 

ऐ गरीबों के मकानों को जलाने वालों, 
शीशमहलों को हवा में उड़ाकर देखो। 

सख्त बेरहम है ज़रदार ऐ बिकने वालो, 
बेज़मीरी का जरा पर्दा हटाकर देखो। 

रेख्ता हिन्दू-मुसलमान हैं भाई-भाई, 
फिर वो ही भूला हुआ नारा लगाकर देखो

वो मुल्क़ कभी...

जहाँ पक्षपात के फैले जाल होते हैं, 
वहाँ हुनरमंदों के सपने बेहाल होते हैं, 
वो मुल्क़ कभी तरक्की नहीं कर सकता, 
जहाँ के वज़ीर ही दलाल होते हैं।

माँ की दुआ...

माँ की दुआ...

खयाल-ए-यार हर एक ग़म को टाल देता है, 
सुकून दिल को तुम्हारा जमाल देता। 
ये मेरी माँ की दुआओ का फ़ैज़ है मुझपर, 
मैं डूबता हूँ तो समंदर उछाल देता है। 

चलती हुई हवाओ से खुशबू महक उठी है, 
माँ-बाप की दुआओं से किस्मत चमक उठी है। 

गरीब हूँ किसी ज़रदार से नहीं मिलता, 
जमीर बेच कर किसी मक्कार से नहीं मिलता, 
जो हो सके तो इसको संभाल कर रखना, 
ये माँ का प्यार है बाजार में नहीं मिलता। 

एक बेवफा को मैंने गले से लगा लिया, 
हीरा समझ कर काँच का टुकड़ा उठा लिया, 
दुश्मन तो चाहता था मुझको मिटाना मगर, 
माँ की दुआओ ने शफ़ी मुझको बचा लिया। 

माँ पाली नहीं जाती...

माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती, 
माँ की बात कभी ताली नहीं जाती, 
अपने सब बच्चे पाल लेती है बर्तन धोकर, 
और बच्चों से एक माँ पाली नहीं जाती।



यादों की ज़िन्दगी...

यादों की ज़िन्दगी...

दीमक ज़दा किताब थी यादों की ज़िन्दगी, 
हर वर्क खोलने की ख्वाहिश में फट गया।


वो बेवफा हो गए...| दिल परेशान बहुत है..

वो बेवफा हो गए...

जो कहते थे हमसे हैं तेरे सनम, 
वो दगा दे गए देखते देखते। 

देते मोहब्बत का इनाम क्या, 
वो सजा दे गए देखते देखते। 

सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे , 
जो बेवफा हो गए देखते देखते।

##

दिल परेशान बहुत है

ज़िन्दगी की कशमकश से परेशान बहुत है, 
दिल को न उलझाओ ये नादान बहुत है। 

यूं सामने आ जाने पर कतरा के गुजरना, 
वादे से मुकर जाना उसे आसान बहुत है। 

यादें भी हैं, तल्खी भी है, और है मोहब्बत, 
तू ने जो दिया दर्द का सामान बहुत है। 

अश्क कभी, लहू कभी, आँख से बरसे, 
बेदाग़ मोहब्बत का ये अंजाम बहुत है। 

तूने तो सुना होगा मेरे दिल का धड़कना, 
छूकर भी देख लेना ये बेजान बहुत है। 

बहुत तड़प लिए अब उससे बिछड़ कर, 
पा जाएँ खोने वाले को अरमान बहुत है।


बेवफाई की आँधियाँ...

बेवफाई की आँधियाँ...

ये चिराग-ए-जान भी अजीब है, 
कि जला हुआ है अभी तलक, 
उसकी बेवफाई की आँधियाँ तो, 
कभी की आ के गुजर गईं।


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फरिश्ते भी अब कहाँ...

फरिश्ते भी अब कहाँ...

फरिश्ते भी अब कहाँ जख्मों का इलाज करते हैं, 
बस तसल्ली देते है कि अब करते है, आज करते है। 

उनसे बिछड़कर हमको तो मिल गयी सल्तनत-ए-गजल, 
चलो नाम उनके हम भी जमाने के तख्तों-ताज करते है। 

नए चेहरों में अब पहली सी कशिश कहाँ है बाकी, 
अब तो बस पुरानी तस्वीर देखकर ही रियाज करते है। 

और एक दिन चचा "मीर" ने आकर ख्वाब में हमसे ये कहा, 
शायरी करो "रोशन" यहाँ बस शायरों का लिहाज करते है।


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बहुत दिन बाद...

बहुत दिन बाद...

बहुत दिन बाद शायद हम मुस्कुराये होंगे, 
वो भी अपने हुस्न पर खूब इतराये होंगे। 

संभलते-संभलते अब तक ना संभले हम, 
सोचो किस तरह उनसे हम टकराये होंगे। 

महक कोई आई है आँगन में कहीं से उड़कर 
शायद उन्होंने गेसू अपने हवा में लहराये होंगे। 

पीछे से तपाक से भर लिया बाँहों में उन्हें, 
वस्ल के वक्त वो बहुत घबराये होंगे। 

जब एक-दूसरे से बिछड़े होंगे वो दो पंछी 
बहुत कतराते कतराते पंख उन्होंने फहराये होंगे। 

जानते हो क्या इस ख़ुश-रू शख्स को, 
पहचान कर भी कहना पड़ा नहीं वो कोई पराये होंगे।




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मैंने गलती तो नहीं की...

मैंने गलती तो नहीं की...

मैंने गलती तो नहीं की बता कर तुझको, 
मेरे दिल के हालात दिखा कर तुझको। 

मैं भूखा ही रहा कल रात पर खुश था, 
अपने हिस्से का खाना खिला कर तुझको। 

दुनिया की बातों पे ग़ौर ना करना कभी, 
मुझसे दूर कर देगा वो बहला कर तुझको। 

मेरा दिल टूटेगा तो संभल जाऊँगा मैं, 
उसका टूटा तो जायेगा सुना कर तुझको। 

कोई है जो तुम्हें याद करता है बहुत, 
रातभर जागता है वो सुला कर तुझको। 

सोचो तो ज़रा कितनी सच्चाई है उसमें, 
गया भी वो तो सच सिखा कर तुझको।
हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम नहीं होता।
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उदासी का ये पत्थर...

उदासी का ये पत्थर...

उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता, 
हजारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम नहीं होता। 

बिछड़ते वक़्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती, 
उसे भी ग़म नहीं होता मुझे भी ग़म नहीं होता। 

ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना, 
ग़ज़ल एहसास है एहसास का मातम नहीं होता। 

बहुत से लोग दिल को इस तरह महफूज़ रखते हैं, 
कोई बारिश हो ये कागज़ जरा भी नम नहीं होता। 

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मेरी ये जिद नहीं...

मेरी ये जिद नहीं...

मेरी ये जिद नहीं मेरे गले का हार हो जाओ, 
अकेला छोड़ देना तुम जहाँ बेज़ार हो जाओ। 

बहुत जल्दी समझ में आने लगते हो ज़माने को, 
बहुत आसान हो थोड़े बहुत दुश्वार हो जाओ। 

मुलाकातों के वफ़ा होना इस लिए जरूरी है, 
कि तुम एक दिन जुदाई के लिए तैयार हो जाओ। 

मैं चिलचिलाती धूप के सहरा से आया हूँ, 
तुम बस ऐसा करो साया-ए-दीवार हो जाओ। 

तुम्हारे पास देने के लिए झूठी तसल्ली हो, 
न आये ऐसा दिन तुम इस कदर नादार हो जाओ। 

तुम्हें मालूम हो जायेगा कि कैसे रंज सहते हैं, 
मेरी इतनी दुआ है कि तुम फनकार हो जाओ।

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Best of Anjum Rahbar | Top 20 Collection of अंजुम रहबर

जंगल दिखाई देगा अगर हम यहाँ न हों
सच पूछिए, तो शहर की हलचल हैं लड़कियाँ.
उनसे कहो कि गंगा के जैसी पवित्र हैं
जिनके लिए शराब की बोतल हैं लड़कियाँ.
अंजुम तुम अपने शहर के लड़कों से ये कहो
पैरों की बेड़ियाँ नहीं पायल हैं लड़कियाँ.

दिल किसी की चाहत में बेकरार मत करना
प्यार में जो धोखा दे, उससे प्यार मत करना
कारोबार में दिल के तजुर्बा जरूरी है
जिंदगी का ये सौदा तुम उधार मत करना
तू मुझे मना लेना, मैं तुझे मना लूंगी
प्यार की लड़ाई में जीत-हार मत करना.
जन्नतों को जहाँ नीलाम किया जाएगा
सिर्फ औरत को हीं बदनाम किया जाएगा
हम उसे प्यार इबादत की तरह करते हैं
अब ये ऐलान, सरेआम किया जाएगा

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे - Poem by Kumar Vishwas

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है.

जो धरती से अम्बर जोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उम्र मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है .

पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना ?

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तनचंदन,
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है,
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन.

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ

बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नहीं पाया,
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया,
अधूरा अनसुना ही रह गया यूं प्यार का किस्सा,
कभी तुम सुन नहीं पायी, कभी मैं कह नहीं पाया 
                         ~ डा० कुमार विश्वास (युवा दिलों की धड़कन)

होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो by कुमार विश्वास


                               दौलत ना अदा करना मौला, शोहरत ना अदा करना मौला
बस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो

बस एक सदा ही सुनें सदा बर्फ़ीली मस्त हवाओं में
बस एक दुआ ही उठे सदा जलते-तपते सेहराओं में
जीते-जी इसका मान रखें
मर कर मर्यादा याद रहे
हम रहें कभी ना रहें मगर
इसकी सज-धज आबाद रहे
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो

गीता का ज्ञान सुने ना सुनें, इस धरती का यशगान सुनें
हम सबद-कीर्तन सुन ना सकें भारत मां का जयगान सुनें
परवरदिगार,मैं तेरे द्वार
पर ले पुकार ये आया हूं
चाहे अज़ान ना सुनें कान
पर जय-जय हिन्दुस्तान सुनें
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो

Koi Deewana Kehta Hai - Dr. Kumar Vishwas (new 2016 add-ons Lines)


Mai jab bhi tez chalta hu, nazare chhoot jaate hain...

Koi jo roop dharta hu, to saanche toot jaate hain...
Mai rota hu to aakar log kandha thap-thapate hain...
Main hasta hu to musjhse log aksar rooth jaate hain...

New Addon..:



Mera apna tajurba hai, tumhe batla raha hu mai...
Koi lab chhu gaya tha tab, ke ab tak gaa raha hu mai...
Bichad kar tumse ab kaise jiya jaye bina tadpe...
Jo mai khud hi nahi samjha wahi samjha raha hu mai...

Kisi pathar mei moorat hai, koi pathar ki moorat hai...
Lo hum ne dekh li duniya, jo itni khubsurat hai...
Zamana apni samjhe par mujhe apni khabar ye hai...
Tujhe meri zarurat hai mujhe teri zarurat hai...



New Lines by Dr. Vishwas at Teerthankar Mahaveer University - Moradabad:



Bahut Bikhra Bahut Toota, Thapede Seh Nahi Paaya...
Hawaaon Ke Ishaaron Par, Magar Main Beh Nahi Paaya...
Adhoora AnSuna Hi Reh Gaya Yoon Pyaar Ka Kissa...
Kabhi Tum Sun Nahi Paaye, Kabhi Main Keh Nahin Paaya...

Main Uska Hun, Wo Is Ehsaas Se inkaar Karta Hai...
Bhari Mehfil Mein Bhi Ruswaa Har Baar Karta Hai...
Yakin Hai Saari Duniya Ko Khafa Hai Humse Woh Lekin...
Mujhe Maaloom Hai Phir Bhi Mujhi Se Pyaar Karta Hai...

Saji Hai Khushnuma Mehfil Sabhi Dildaar Bethe Hain...
Jidhar Dekho Udhar Hi Ishq Ke Bimar Bethe Hain...
Hanseeno Ki Adaaon Pe Sabhi Dil Haar Bethe Hain...
Hazaron Mar-Mite Aur Sainkron Tayyaar Bethe Hain...

All Kumar Vishwas Poems/Shayari Collection ~

All Kumar Vishwas Poems/Shayari Collection ~
Jaha Par Khtam Hoti Thi Meri Khawaish Ki Jid Kal Tak,
Usi Ek Mod Tak Khud Ke Safar Ko Mood Rakha Hai,
Kitab-E-Jindagi Yu Padh Rahi Hai Aaj Kal Duniya,
Tumhare Naam Ko Ab Bhi adhura Chod Rakha Hai…
Dr. Kumar Vishwas Poems
Falak Pe Bhor Ke Dulhan Yu Saj Ke Aayi Hai,
Ye Din Ugha Hai Ya Suraj Ke Ghar Sagayi Hai,
Abhi Bhi Aate Hai Aansu Meri Kahani Mein,
Kalam Mein Shukar-E-Ada Ki Roshanayi Hai.
Dr. Kumar Vishwas Poems
Hame Malum Hai Do Dil Judai Seh Nahi Sakte,
Magar Rasme Wafa Ye Hai Ki Ye Bhi Keh Nahi Sakte,
Jara Kuch Dair Tum Unn Sahilo Ki Chik Sun Bhar Lo,
Jo Lehro Mein To Dube Hai Magar Sang Beh Nahi Sakte.
Dr. Kumar Vishwas Poems
Ye Dil Barbaad Karke Su Mein Kyun Abaad Rehte Ho,
Koi Kal Keh Raha Tha Tum Allahabad Rehte Ho…
Ye Kaisi Shohratein Mujhko Ata Kar Di Mere Maula,
Main Sabh Kuch Bhool Jaata Hoon Magar Tum Yaad Rehte Ho…
Dr. Kumar Vishwas Poems
Panahon Mein Jo Aaya Ho To Us Par Vaar Kya Karna,
Jo Dil Hara Hua Ho Us Pe Fir Adhikaar Kya Karna…
Mohabbat Ka Maza To Doobne Ki Kashmakash Mein Hai,
Jo Ho Maloom Gehrayi To Dariya Paar Kya Karna…
Dr. Kumar Vishwas Poems
Hamare Sher Sun Kar Bhi Jo Khamosh Itna Hai,
Khuda Jaane Guroor-e-Husn Mein Madhosh Kitna Hai…
Kisi Pyale Se Poocha Hai Suraahi Main Sabab Mein Ka,
Jo Khud Behosh Ho Wo Kya Bataye Ke Hosh Kitna Hai…..
Dr. Kumar Vishwas Poems
Wo Jiska Teer Chupke Se Jigar Ke Paar Hota Hai,
Wo Koi Gair Kya Apna Hi Rishtedaar Hota Hai…
Kise Se Apne Dil Ki Baat Tu Kehna Na Bhoole Se,
Yahan Khat Bhi Thodi Der Se Akhbaar Hota Hai….
Dr. Kumar Vishwas Poems
Jab Aata Hai Jeevan Mein Halaaton Ka Hungama,
Jazbaton, Mulakaton, Haseen Baaton Ka Hungama…
Jawani Ke Qayamat Daur Mein Ye Soch Te Hain Sabh,
Ye Hungame Ki Raatein Hain Ya Raaton Ka Hungama……
Dr. Kumar Vishwas Poems
Na Paane Ki Khushi Hai Kuch Na Khone Ka Hi Kuch Gam Hai….
Ye Daulat Aur Shohrat Sirf Kuch Zakhmo Ka Marham Hai…
Ajab Si Kashmakash Hai Roz Jeene, Roz Marne Me….
Mukkammal Zindagi To Hai Magar Poori Se Kuch Kam Hai….
Dr. Kumar Vishwas Poems
Koi Khamosh Hai Itna, Bahane Bhool Aaya Hoon…
Kisi Ki Ik Taranum Mein Taraane Bhool Aaya Hoon….
Meri Ab Raah Mat Takna Kabhi e Aasmaan Walo….
Main Ik Chidiya Ki Aankhon Mein Udaane Bhool Aaya Hoon….
Dr. Kumar Vishwas Poems

शीशे के खिलौनों से खेला नहीं जाता...



शीशे के खिलौनों से खेला नहीं जाता
रेतों के घरौंदों को तोड़ा नहीं जाता

जलते हुए दिलों की निशानी जो दे गया
कुछ ऐसे चिरागों को बुझाया नहीं जाता

बनती हुई तस्वीर तेरी चांद बन गई
अब मेरे तसव्वुर का उजाला नहीं जाता

अपनों ने उसे इतना मजबूर कर दिया
कि घर में सुकून से अब जिया नहीं जाता

इंतजारों के कांटों को मैं चुनता चला गया..

इंतजारों के कांटों को मैं चुनता चला गया
पल पल गिरे आंसू को गिनता चला गया

रिश्तों ने हर कदम पर मुझको बहुत टोका
मगर मैं तेरी बात को बस सुनता चला गया

अब तुम ही खफा हो तो बताओ क्या करूं
तेरा जवाब न मिला तो सिर धुनता चला गया

कुछ दिन में शायद सबकुछ ठीक हो जाए
इसी उम्मीद में ये गजल मैं बुनता चला गया

सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा......

सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा
हम भेड़-बकरी इसके यह गड़ेरिया हमारा


सत्ता की खुमारी में, आज़ादी सो रही है
हड़ताल क्यों है इसकी पड़ताल हो रही है
लेकर के कर्ज़ खाओ यह फर्ज़ है तुम्हारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.


चोरों व घूसखोरों पर नोट बरसते हैं
ईमान के मुसाफिर राशन को तरशते हैं
वोटर से वोट लेकर वे कर गए किनारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.


जब अंतरात्मा का मिलता है हुक्म काका
तब राष्ट्रीय पूँजी पर वे डालते हैं डाका
इनकम बहुत ही कम है होता नहीं गुज़ारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.



हिन्दी के भक्त हैं हम, जनता को यह जताते
लेकिन सुपुत्र अपना कांवेंट में पढ़ाते
बन जाएगा कलक्टर देगा हमें सहारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.


फ़िल्मों पे फिदा लड़के, फैशन पे फिदा लड़की
मज़बूर मम्मी-पापा, पॉकिट में भारी कड़की
बॉबी को देखा जबसे बाबू हुए अवारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.


जेवर उड़ा के बेटा, मुम्बई को भागता है
ज़ीरो है किंतु खुद को हीरो से नापता है
स्टूडियो में घुसने पर गोरखा ने मारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.

अजब हैं लोग थोड़ी सी परेशानी से डरते हैं...

अजब हैं लोग थोड़ी सी परेशानी से डरते हैं
कभी सूखे से डरते हैं, कभी पानी से डरते हैं

तब उल्टी बात का मतलब समझने वाले होते थे
समय बदला, कबीर अब अपनी ही बानी डरते हैं

पुराने वक़्त में सुलतान ख़ुद हैरान करते थे
नये सुलतान हम लोगों की हैरानी से डरते हैं

हमारे दौर में शैतान हम से हार जाता था
मगर इस दौर के बच्चे तो शैतानी से डरते हैं

तमंचा ,अपहरण, बदनामियाँ, मौसम, ख़बर, कालिख़
बहादुर लोग भी अब कितनी आसानी से डरते हैं

न जाने कब से जन्नत के मज़े बतला रहा हूँ मैं
मगर कम-अक़्ल बकरे हैं कि कुर्बानी से डरते हैं
******************************
ये रातों-रात कुछ का फूलना, फलना, चमक जाना
हमें बतलाओ इस करतब में क्या तकनीक होती है

जनता का हक़ मिले कहाँ से, चारों ओर ‪दलाली है |....

जनता का हक़ मिले कहाँ से, चारों ओर ‪दलाली है |
‪चमड़े का दरवाज़ा है और ‪कुत्तों की रखवाली है ||

‪मंत्री, नेता, अफसर, मुंसिफ़ सब जनता के सेवक हैं |
ये जुमला भी प्रजातंत्र के मुख पर ‪भद्दी गाली है ||

उसके हाथों की ‪कठपुतली हैं सत्ता के ‪शीर्षपुरुष |
कौन कहे संसद में बैठा ‪गुंडा और मवाली है ||

सत्ता ‪बेलगाम है जनता ‪गूँगी बहरी लगती है |
कोई उज़्र न करने वाला कोई नहीं ‪सवाली है ||

सच को यूँ ‪मजबूर किया है देखो झूठ बयानी पर |
‪माला फूल गले में लटके पीछे सटी ‪दोनाली है ||

‪दौलत शोहरत बँगला गाड़ी के पीछे सब भाग रहे हैं |
‪फसल जिस्म की हरी भरी है ‪ज़हनी रक़बा खाली है ||

‪सच्चाई का जुनूँ उतरते ही हम ‪मालामाल हुए |
हर सूँ यही हवा है ‪रिश्वत हर ताली ताली है ||

वो ‪सावन के अंधे हैं उनसे मत पूँछो रुत का हाल |
उनकी खातिर हवा ‪रसीली चारों सूँ ‪हरियाली है ||

‪पंचशील के नियमो में हम खोज रहे हैं सुख साधन |
चारों ओर ‪महाभारत है दाँव चढ़ी ‪पञ्चाली है ||

पहले भी ‪मुगलों-अंग्रेजो ने जनता का ‪‎खून पिया |
आज 'विप्लवी' भेष बदलकर नाच रही खुशहाली है ||

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है......

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाये तो मिट्टी है खो जाये तो सोना है

अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम
हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है

ये वक्त जो तेरा है, ये वक्त जो मेरा
हर गाम पर पहरा है, फिर भी इसे खोना है

आवारा मिज़ाजी ने फैला दिया आंगन को
आकाश की चादर है धरती का बिछौना है

सांसे तो है मगर अब जीने की अरमान नही है,....

सांसे तो है मगर अब जीने की अरमान नही है,
देखा है जिन्दगी को इस कदर खुद की पहचान नही है।
                 दर्द है बिखरा है जहाँ में यहाँ से वहाँ  तलक,
                 बाँट ले गम थोडा सा ही ऐसा कोई इन्सान नहीं है  ।
खेल कर जी भर आग से कहने लगे है अब तो,
जलते तन मन के लिए बर्फ का सामान नही है।
                 गुल-ए-चमन में जग कर रात रात भर,
                 मायूस हो कहते है वो काँटों का बरदान नही है।
बुझेगी नही प्यास सुरा से,सुन्दरी से औ शबाब से,
जवानी तो दो घडी है हरदम तो इसका एलान नही है ।
                  लुट कर खुद गैर की आबरू दिन दहाड़े ही,
                  कहते है वो आदमी की शक्ल में भगवान नही है।
गवां दी उम्र सारी  मनमानी हरकतों के तहत।
थक गये तो कहते है सर पर आसमान नहीं है।
                  सभल जा अब भी थोडा वक्त है "राज",
                  जिन्दगी की राहों  को समझना आसन नही है।

दिल का दर्द ज़बाँ पे लाना मुश्किल है....

दिल का दर्द ज़बाँ पे लाना मुश्किल है
अपनों पे इल्ज़ाम लगाना मुश्किल है

बार-बार जो ठोकर खाकर हँसता है
उस पागल को अब समझाना मुश्किल है

दुनिया से तो झूठ बोल कर बच जाएँ,
लेकिन ख़ुद से ख़ुद को बचाना मुश्किल है।

पत्थर चाहे ताज़महल की सूरत हो,
पत्थर से तो सर टकराना मुश्किल है।

जिन अपनों का दुश्मन से समझौता है,
उन अपनों से घर को बचाना मुश्किल है।

जिसने अपनी रूह का सौदा कर डाला,
सिर उसका ‘राज ’ उठाना मुश्किल है।

आ समन्दर के किनारे पथिक प्यासा रह गया,...

आ समन्दर के किनारे पथिक प्यासा रह गया,
था गरल से जल भरा होकर रुआंसा रह गया।

था सफर बाकि बहुत मजिल अभी भी दूर थी,
हो गया बढना कठिन घिर कर कुहासा रह गया।

लग रहे नारे हजारो छप रही रोज लाखो खबर,
गौर से जब देखा तो बन तमाशा रह गया।

एक बुत गढ ने लगी अनजान में ही मगर,
हादसा ऐसा हुआ की वह बिन तराशा रह गया।

छोड़ कर आशा किसी का चल पड़ा बेचारा"राज",
आज वादा  लोगो का बस दिलासा रह गया।

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