वो खुद पर इतना गुरूर करते हैं,
तो इसमें हैरत की बात नहीं,
वो आम हो ही नहीं सकते |
जिन्हें हम चाहते हैं,
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हम जैसा सौदागर ना मिलेगा तुम्हे बेवफाओ के इस शहर में,
अपनो के आँसू खरीदने का हौसला रखते हैं अपनी मुस्कान बेच कर
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नम तेरी नफ़रत में वो दम नही,
जो मेरी चाहत को मिटा दे,
ये मोहब्बत है कोई खेल नही,
जो आज हंस के खेला और कल रो के भुला दे
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