Faiz Ahmad Faiz

Faiz Ahmad Faiz ji ke Gajal:: Geet :: Shayari

Something About Faiz Ahmad Faiz Sahab: Faiz Ahmad Faiz and his work truly touches the human heart. He evokes emotions because his poetry is rarely without an accompanying haunting quality of pain. If there is someone who understands loss of love, it has to be Faiz saab.

यूँ दिल को सजा दी हम ने
अब के यूँ दिल को सजा दी हम ने 
उस की हर बात भुला दी हम ने .

एक एक फूल बहुत याद आया 
शेख -ऐ -गुल जब वो जला दी हम ने .

आज तक जिस पे वो शर्माते हैं ,
बात वो कब की भुला दी हम ने .

शहर -ऐ जहाँ राख से आबाद हुआ ,
आग जब दिल की बुझा दी हम ने .

आज फिर याद बहुत आया वह 
आज फिर उस को दुआ दी हम ने .

कोई तो बात है उस में ‘फैज़” 
हर ख़ुशी जिस पे लूटा दी हम ने . !!

फैज़ अहमद फैज़..!!
FAIZ AHMED FAIZ SHAYARI – DIL-E-NAASABUR URDU SHAYARI – Ab Ke Yoon Dil Ko Saza Di Humne

याद आती रही रात भर
आप की याद आती रही रात भर ,
चांदनी दिल दुखाती रही रात भर

गाह जलती हुई गाह बुझती हुई ,
शाम-ऐ-गम झिलमिलाती रही रात भर

कोई खुशबु बदलती रही पैराहन ,
कोई तस्वीर गाती रही रात भर

फिर सवा साया-ऐ-शाख-ऐ -गुल के तले ,
कोई किस्सा सुनाती रही रात भर

जो न आया उसे कोई ज़ंज़ीर-ऐ-दर ,
हर सदा पर बुलाती रही रात भर

एक उम्मीद से दिल बहलाता रहा ,
एक तम्मन्ना सताती रही रात भर

फैज़ अहमद फैज़..!!
FAIZ AHMED FAIZ SHAYARI – DIL-E-NAASABUR URDU SHAYARI – Aap Ki Yaad Aati Rahi Raat Bhar

तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार
तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है 
न शब् को दिन से शिकायत न दिन को शब् से है

किसी का दर्द हो तो करते है तेरे नाम राकाम 
गिला है जो भी किसी से तेरी सबब से है

हुआ है जब से दिल-ऐ-नासबूर बेकाबू 
कलाम तुझसे नज़र को बड़ी अदब से है

अगर शरार है तो भडके जो फूल है तो खिले 
तरह तरह की तलब तेरे रंग -ऐ -लब से है

कहाँ गए शब्-ऐ-फुरक़त के जागने वाले 
सितारा-ऐ-सहर हम-कलाम कब से है

FAIZ AHMED FAIZ SHAYARI – Dil-E-Naasabur URDU SHAYARI – Teri Ummid Tera Intezaar Jab Se Hai

जो जफ़ा भी आप ने की
सच है हमीं को आप के शिकवे बजा न थे 
बेशक सितम जनाब के सब दोस्ताना थे

हाँ जो जफ़ा भी आप ने की , क़ायदे से की 
आखिर हम ही बंदा-ऐ-असूल-ऐ-वफ़ा न थे

आये तो यूँ के जैसे हमेशा थे मेहरबान 
भूले तो यूँ के गोया कभी आशना न थे

लब पर है तल्खी-ऐ-मेह-ऐ -आयाम , वरना “फैज़ ”
हम तल्खी -ऐ -कलाम पे मेल ज़ारा न थे

FAIZ AHMED FAIZ SHAYARI – JANOON-AE-ISHQ URDU SHAYARI – Jo Jafaa Bhi Aap Ne Ki, Qaaiday Se Ki

ऐ जनून-ऐ-इश्क़ बता ज़रा
कभी गम की आग में जल उठे 
कभी दाग़ -ऐ -दिल ने जला दिया

ऐ जनून-ऐ-इश्क़ बता ज़रा 
मुझे क्यों तमाशा बना दिया

गम-ऐ -इश्क़ कितना अजीब है 
यह जनून से कितना करीब है

कभी अश्क पलकों पे रुक गए 
कभी पूरा दरिया बहा दिया

अभी कर रहा है वो इब्तिदा 
मेरा कह रहा है तजुर्बा

उससे ज़िन्दगी की है आरज़ू 
मुझे ज़िन्दगी ने मिटा दिया

Faiz Ahmed Faiz SHAYARI – Janoon-AE-Ishq URDU SHAYARI – AE Janoon-AE-Ishq Bataa Zra

दोनों जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के
दोनों जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के 
वो जा रहा है कोई शब् -ऐ -गम गुज़ार के

बीरान है महकदा , ख़म -ओ -सागर उदास है 
तुम किया गए के रूठ गए दिन बाहर के

एक फुरसत -ऐ -गुनाह मिली , वो भी चार दिन 
देखे हैं हमने हौसले परवरदिगार के

भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज फैज़ 
मत पूछ जलवे दिल -ऐ -नाकारदाकार के

Faiz Ahmed Faiz SHAYARI – Janoon-AE-Ishq URDU SHAYARI – Dono jahan teri mohabbat mein haar ke

आप से दिल लगा के देख लिया
राज़ -ऐ -उल्फत छुपा के देख लिया 
दिल में बहुत कुछ जला के देख लिया

और क्या देखने को बाकी है 
आप से दिल लगा के देख लिया

वो मेरे हो के भी मेरा न हुआ 
उन को अपना बना के भी देख लिया

आज उनकी नज़रो में कुछ हमने 
सब की नज़रें बचा के देख लिया

“फैज़” तकमील -ऐ -ग़म भी न हो सके 
इश्क़ को आजमा के भी देख लिया

Faiz Ahmed Faiz SHAYARI – Janoon-AE-Ishq URDU SHAYARI – Aap Se Dil Lagaa Ke Dekh Liya

बिछड़ा है जो एक बार
बिछड़ा है जो एक बार तो मिलते नहीं देखा 
इस ज़ख़्म को हम ने कभी सिलते नहीं देखा

इक बार जिससे छट गयी धुप की ख्वाहिश 
फिर शाख पे उस फूल को खिलते नहीं देखा

यक लख्त गिरा है तो जड़ें तक निकल आईं 
जिस पेड़ को आंधी में भी हिलते नहीं देखा


Faiz Ahmed Faiz SHAYARI – Janoon-AE-Ishq URDU SHAYARI – Bichda hai jo ek bar to Milte nahi dekha

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