Ahmad Faraz ji

Ahmad Faraz ji ke geet::ghajal::sher

Something About Ahmad Faraz ji: Ahmed Faraz was a Pakistani Urdu poet. He was widely known as one of the best modern Urdu poets of the last century. Faraz was his pen name. He died in Islamabad on 25 August 2008. He was awarded Sitara-i-Imtiaz, Hilal-e-Imtiaz and posthumously the Hilal-e-Pakistan by the Government of Pakistan .


Ahmad Faraz – Shayari – (A Pakistani Urdu Shayar)

दिल बेक़रार अपना है

तू पास भी हो तो दिल बेक़रार अपना है 

के हम को तेरा नहीं इंतज़ार अपना है


मिले कोई भी तेरा ज़िकर छेड़ देते हैं 

के जैसे सारा जहाँ राज़दार अपना है


वो दूर हो तो बजा तर्क -ऐ -दोस्ती का ख्याल 

वो सामने हो तो कब इख्तियार अपना है


ज़माने भर के दुखों को लगा लिया दिल से 

इस आसरे पर के इक गमगुसार अपना है


“फ़राज़” राहत-ऐ-जान भी वही है क्या कीजिये 

वो जिस के हाथ से सीनाफिगार अपना है ​


Ahmed Faraz Urdu Romantic Shayari – Tu Paas Bhi Ho To Dil Beqaraar Apanaa Hai



जान से इश्क़

जान से इश्क़ और जहाँ से गुरेज 
दोस्तों ने किया कहाँ से गुरेज 
इब्तदा की तेरे कसीदे की 
अब मुश्किल करू कहाँ से गुरेज 
में वहाँ हूँ जहाँ जहाँ तुम हो 
तुम करोगे कहाँ कहाँ से गुरेज 
कर गया तेरे मेरे किस्से मैं 
दास्ताँ वो जहाँ वहाँ से गुरेज

“Ahmad FARAZ Urdu Shayari” – jaan se ishq aur jahaan se gurej
तेरे ख्वाब
बड़ी मुश्किल से सुलाया था खुद को “फ़राज़” मैंने आज 
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच दे कर

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – BADI MUSHKIL SE SULAAYA THA KHUD KO

उस की हर बात
यही सोच कर उस की हर बात को सच माना है “फ़राज़ “
के इतने ख़ूबसूरत लव झूट कैसे बोलेंगे .

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – KE ITNE KHUBSOORAT LUB JHOOT KAISE BOLEINGE

उस की हर बात
यही सोच कर उस की हर बात को सच माना है “फ़राज़ “
के इतने ख़ूबसूरत लव झूट कैसे बोलेंगे .

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – KE ITNE KHUBSOORAT LUB JHOOT KAISE BOLEINGE

ज़िन्दगी
ज़िन्दगी तो अपने ही क़दमों पे चलती है “फ़राज़ “
लोगो के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – ZINDAGI TO APNE HI KADMON PE CHALTI HAI

हमें तुम से प्यार है
हम पे फ़क़त इलज़ाम के हम हैं ज़ुबान दर्ज़ “फ़राज़”
हम ने तो बस कहा था हमें तुम से प्यार है

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – HUM PE FAQAT ILZAAM KE HUM HAIN ZUBAN DARAZ

वो बेवफा न था
वो बेवफा न था यूं ही बदनाम हो गया ” फ़राज़ “
हज़ारों चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करता वो

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – WO BEWAFA NA THA YOON HI BADNAAM HO GYA

तेरा न हो सका
तेरा न हो सका तो मर जाऊंगा “फ़राज़ “
कितना खूबसूरत वो झूट बोलता था

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – TERA NA HO SAKA TO MAR JAONGA “FARAZ”

हम न बदलेंगे
हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ ‘”फ़राज़”‘
हम जब भी मिलेंगे अंदाज़ पुराना होगा …

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – HAM JAB BHI MILENGAY ANDAAZ PURANA HOGA

खुद ही बिक गए
किस की क्या मजाल थी जो कोई हम को खरीद सकता “फ़राज़”
हम तो खुद ही बिक गए खरीदार देख कर

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – HUM TO KHUD HI BIK GAYE KHARIDAR DEKH KAR

उम्र भर का सहारा
कौन देता है उम्र भर का सहारा ऐ “फ़राज़’ 
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – KAUN DETA HAI UMAR BHAR KA SAHARA AE “FARAZ

यह वफ़ा तो
यह वफ़ा तो उन दिनों की बात है “फ़राज़”
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते थे

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – JAB MAKAAN KACHE OR LOG SACHE HUA KARTEY THE

इश्क़ का नशा
कुछ इश्क़ का नशा था पहले हम को “फ़राज़”.
दिल जो टूटा तो नशे से मोहब्बत हो गई .

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – KUCH ISHQ KA NASHA THA PEHLE HUM KO

मिले तो कुछ कह न सके
हम उन से मिले तो कुछ कह न सके “फ़राज़”
ख़ुशी इतनी थी के मुलाक़ात आँसू पोंछते ही गुज़र गई

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – HUM UN SE MILAY TO KHUCH KEH NA SAKAY

प्यासे गुज़र जाते हैं
तू किसी और के लिए होगा समंदर-ऐ -इश्क़ “फ़राज़” 
हम तो रोज़ तेरे साहिल से प्यासे गुज़र जाते हैं

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – TERE SAHIL SE PIYASE GUZAAR JATE HAIN

किसी से जुदा होना
किसी से जुदा होना अगर इतना आसान होता “फ़राज़”
जिस्म से रूह को लेने कभी फरिश्ते न आते

TWO LINE “FARAZ” ERRATIC SHAYARI – KISSI SE JUDA HONA AGAR ITNA ASAN HOTA

मुलाक़ात
हम उन से मिले तो कुछ कह न सके “फ़राज़ ”
ख़ुशी इतनी थी के मुलाक़ात आँसू पोंछते ही गुज़र गई

URDU AND HINDI SHAYARI – MULAQAT – FARAZ SHAYARI- KHUSHI ITNI THE KI MULAQAT

गुनहगार
लोग पत्थर के बूतों को पूज कर भी मासूम रहे “फ़राज़”
हम ने एक इंसान को चाहा और गुनहगार हो गए

URDU AND HINDI SHAYARI – GHUNEGAR “FARAZ” SHAYARI– HUM NE EK INSAN KO CHAAHA

मेरी ख़ामोशी
वो अब हर एक बात का मतलब पूछता है मुझसे “फ़राज़”
कभी जो मेरी ख़ामोशी की तफ्सील लिखा करता था

प्यार की गहराइयाँ
हमे तो प्यार की गहराइयाँ मालूम करनी थी “फ़राज़”
यहाँ नहीं डूबता तो कहीं और डूबे होते

Urdu and Hindi Shayari – FARAZ Shayari– hume to pyar ki gehraiya “FARAZ”

सोच में  गुम हैं
उँगलियाँ आज भी इस सोच में  गुम हैं “फ़राज़”
उस ने कैसे नया हाथ थामा होगा.

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Usne kaise Naye Hath ko Thama hoga

आईना
टूट कर चुभ रहा है आँखों में “फ़राज़”
आईना तो नहीं था ख्वाब मेरा

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Toot kar chubh Raha hai Aankhon mai

मैं जो महका
मैं जो महका तो मेरी शाख जला दी उस ने “फ़राज़”
सर्द मौसम में मुझे जर्द हवा दी उस ने

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Main jo mehka to meri shaakh jala di usne


मुलाक़ात
लोग कहते हैं के मुलाक़ात नहीं हुई ” फ़राज़ “
हम तो रोज़ मिलते हैं लेकिन बात नहीं होती

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Hum tu Rooz Miltay Hain


तमाम उम्र
तमाम उम्र मुझे टूटना बिखरना था ” फ़राज़ “
वो मेहरबान भी कहाँ तक समेटता था मुझे

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Tamam Umar Mujhe Tootna Bikhrana Tha
नाकामी
अपनी नाकामी का एक यह भी सबब है ” फ़राज़ ” 
चीज़ जो भी मांगते हैं सब से जुदा मांगते हैं

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Apni Naakami Ka Ek Yeh Bhi Sabab Hai
बरसो के प्यासे
बस इतना ही कहा था हम बरसो के प्यासे हैं ” फ़राज़ “
होंटो को उस ने चूम कर खामोश कर दिया .

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – honto ko us ne choom kar khamosh kar diya

रोशनियाँ
सब रोशनियाँ मुझ से रूठ जाएंगी यह कह कर ” फ़राज़ “
तुम अपने चिरगों की हिफाज़त नहीं करते

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Tum Apne Chiragon ki Hifazat nahi Karte
बिछडने का सलीका
उस को तो बिछडने का सलीका भी नहीं आया ” फ़राज़ “
जाते हुए वो खुद को यहीं छोड़ गया

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Jate hue wo Khud ko yaheen Chod gaya
दर्द हैरान है
एक ही ज़ख्म नहीं सारा बदन ज़ख़्मी है ” फ़राज़ “
दर्द हैरान है के उठूँ भी तो कहाँ से उठूँ

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Ek hi zakhm Nahi sara Badan zakhmi Hai
तेरे जाने के बाद
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे ” फ़राज़ “
क्यों तन्हा से हो गए है तेरे जाने के बाद

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Kyon Tanha Se Ho Gaye Hai Tere Jane Ke Baad
दो गज़ कफ़न
ऐ  इंसान  इब्न-ऐ -आदम  से  नंगा आया  है  तू ” फ़राज़ ” 
कितना सफर किया  है  तूने  दो  गज़  कफ़न  के  लिये

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – do Ghaz Kafan Ke Liyee
पानी में अक्स
पानी में अक्स देख कर खुश हो रहा था ” फ़राज़ “
पथर किसी ने मार कर मंज़र ही बदल डाला

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Pani Main Aaks Dekh Kar
सैराब
प्यासे होंटों से बहुत करता है मीठी बातें 
हो के सैराब बदल जाता है लहजा उसका

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Ho Ke Sairaab Badal Jata Hai Lehjaa Uska
वफ़ा
मेरे शिकवों पर उस ने हँस के कहा ” फ़राज़ “
किस ने की थी वफ़ा जो हम करते

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Kis Ne Ki THi Wafa Jo Hum Karte
शिकायत
आप ही खुद अपनी अदाओं में ज़रा गौर कीजिए ” फ़राज़ “
हम अरज़ करेगें तो शिकायत होगी

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Hum Arz karenge To Shikayat Hogi
बेवफाई का क़िस्सा
हम सुना रहे थे अपनी बेवफाई का क़िस्सा ” फ़राज़ “
अफ़सोस इस बात का है लोगो ने तो वाह वाह कहा , उन्होंने भी वाह वाह कहा

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Hum Suna Rahe The Apni Bewafai Ka Qissa
जुर्म -ऐ -मुहब्बत
खुला जो नाम-ऐ-अमल हशर में मेरा ” फ़राज़ “
बस एक जुर्म -ऐ -मुहब्बत मेरे हिसाब में था

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Khula Jo Name-AE-Amal Hasher Mein Mera
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद भी न छोड़ा जलना उस ने ” फ़राज़ “
रोज़ पहना जाती थी फूल मेरी साथ वाली क़बर पर

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Marne Ke Baad Bhi Na Choda Jalana Us Ne
मेरा वजूद
पहले तराशा उस ने मेरा वजूद शीशे से ” फ़राज़ “
फिर ज़माने भर के हाथों में पत्थर थमा दिए

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Phir Zamane Bhar Ke Hathon Main Pathar Thama Diye
यह मासूमियत
यह मासूमियत का कौन सा अंदाज़ है ” फ़राज़ “
काट के पर कहते हो अब तुम आज़ाद हो

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Kaat Ke Par Kehtay Ho Ab Tum Azaad Ho
दिल-ओ-जिगर
हमें आप रूह में बसा लें तो अच्छा है ” फ़राज़ “
दिल-ओ-जिगर के रिश्ते तो अक्सर टूट जाया करते हैं

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Dil-O-Jigar Ke Rishte
मौसम की तरह
वो शख्स भला मेरा क्या साथ निभायेगा ” फ़राज़ ” 
मौसम की तरह जिस ने सीखा है बदल जाना

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Mausam Ki Tarah Jis ne Seekha Hai
इसी ज़मीन से
आज है अपनी बुलंदी पर तुझे कितना नाज़ ” फ़राज़ “
इसी ज़मीन से याद रख , है आसमान निकला

Hindi and urdu shayari – Faraz Ahmed Shayari – Aaj Hai Apni Bulandi Par Tujhe Kitna Naaz
शब-ऐ-इंतज़ार
वो गया तो साथ ही ले गया सभी रंग उतार के शहर के 
कोई शख्स था मेरे शहर में किसी दूर पार के शहर का 
चलो कोई दिल तो उदास था , चलो कोई आँख तो नम थी 
चलो कोई दर तो खुला रहा शब-ऐ-इंतज़ार के शहर का

Urdu and Hindi Shayari – Ahmed Faraz Shayari- Shab-ae-Intezaar Ke Shehar Ka
पास -ऐ -वफ़ा
इतना आसान था तेरे हिजर  में  मरना जाना 
फिर भी एक उम्र लगी जान जाते जाते 
उसकी वो जाने उसे पास -ऐ -वफ़ा था के न था 
तुम तो फ़राज़ अपनी तरफ से निभाते जाते

Hindi and urdu shayari – Faiz Ahmed Faiz Shayari – tum to Faraz apni taraf se nibate jate
न रोयेगा तो मर जायेगा
मैं नहीं तो कोई और साहिल पे उतर जायेगा 
जिंदगी तेरी अथाह है तो येह जाने वाला 
तेरी बकसीस तेरी दल्लीज पर धर जायेगा 
जब्त जाजिम है मगर दुःख है क़यामत का फ़राज़ 
जालिम अब के न रोयेगा तो मर जायेगा

Hindi and urdu shayari – Faiz Ahmed Faiz Shayari – Jalim ab ke na royega to mar jayega
मौसम
प्यार में एक ही मौसम है बहरों का ” फ़राज़ “
लोग कैसे मौसमों की तरहं बदल जाते हैं

Hindi and urdu shayari – Faiz Ahmed Faiz Shayari – mousam hai baharon ka “Faraz”
जब खिज़ां आएगी
जब खिज़ां आएगी तो लौट आएगा वो भी ” फ़राज़ “
वो बहरों में ज़रा कम ही निकला करता है

Hindi and urdu shayari – Faiz Ahmed Faiz Shayari – Laut aye g wo bhi “Faraz”

पहले पहले का इश्क़ अभी भी याद है “फ़राज़”
दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों 
मर जाए जो ऐसे में तन्हाइयाँ भी हों

हर हुस्न -ऐ -सदा लो न दिल में उतार सका 
कुछ तो मिज़ाज -ऐ -यार मैं गहराइयाँ भी हों

दुनिया के तजकरे तो तबियत ही ले बुझे 
बात उस की हो तो फिर सुख आराईयां भी हों

पहले पहले का इश्क़ अभी भी  याद है फ़राज़ 
दिल खुद यह चाहता था के रुस्वाइयाँ भी हों

Hindi and urdu shayari – Faiz Ahmed Faiz Shayari – Pehle pehle ka ishq
दिल की तलाशियाँ
अपने सिवा बताओ और कुछ मिला है तुम्हे फ़राज़ ‘
हज़ार बार ली है तुमने इस दिल की तलाशियाँ

Hindi and urdu shayari – dil Shayari – dil ki Talaashiyaan
शब -ऐ -ग़म
दोनों जहां तेरी मुहब्बत में हार के 
वो जा रहा है कोई शब -ऐ -ग़म गुज़ार के

Hindi and urdu shayari – Faiz Ahmed Faiz Shayari – shab-e-Gham
कोई तो बात है उस मैं “फ़राज़”
अब के यूं दिल को सजा दी हम ने 
उस की हेर बात भुला दी हम ने

एक एक फूल बहुत याद आया 
शाख -ऐ -गुल जब वो जला दी हम ने



आज तक जिस पे वो शर्माते हैं 
बात वो कब की भुला दी हम ने

शहर-ऐ-जहाँ राख से आबाद हुआ 
आग जब दिल की बुझा दी हम ने

आज फिर याद बहुत आया वो 
आज फिर उस को दुआ दी हम ने

कोई तो बात है उस मैं फ़राज़ 
हर ख़ुशी जिस पे लूटा दी हम ने

Hindi and urdu shayari – Faiz Ahmed Faiz Shayari – Koi To Baat Hai Us Main Faiz
मिज़ाज़ और धड़कन – फ़राज़
कितना नाज़ुक मिज़ाज़ है वो कुछ न पोछिए फ़राज़ 
नींद नही आती उन्हें धड़कन के शोर से

हिंदी और उर्दू शायरी – फ़राज़ और मोसिन की खूबसूरत शायरी – मिज़ाज़ और धड़कन – फ़राज़
जिंदगी और मौत – फ़राज़
कोई न आएगा तेरे सिवा मेरी जिंदगी में फ़राज़ 
एक मौत ही है जिस का हम वादा नही करती

हिंदी और उर्दू शायरी – फ़राज़  की खूबसूरत शायरी – तन्हाई और महफ़िल – फ़राज़
तन्हाई और महफ़िल – फ़राज़
तन्हाई में जो चूमता है मेरे नाम के हरूफ फ़राज़ 
महफ़िल मैं वो शख्स मेरी तरफ देखता भी नहीं

हिंदी और उर्दू शायरी – फ़राज़  की खूबसूरत शायरी – तन्हाई और महफ़िल – फ़राज़
बेवफा और ज़िंदगी – फ़राज़
वो बेवफा है सही आओ उसी याद कर लें फ़राज़ 
अभी ज़िंदगी बहुत पड़ी है उसे भुलाने के लिए

हिंदी और उर्दू शायरी – फ़राज़ की शायरी– बेवफा और ज़िंदगी – फ़राज़
खुश और उदास – फ़राज़
वो मुझ से बिछड़ कर खुश है तो उसे खुश रहने दो “फ़राज़ “
मुझ से मिल कर उस का उदास होना मुझे अच्छा नहीं लगता …

उर्दू और हिंदी शायरी – फ़राज़ की शायरी – खुश और उदास – फ़राज़ शायरी 
ख्वाब – फ़राज़
वो मुझसे पूछता किस किस के ख्वाब देखते हो “फ़राज़ ” 
बेखबर जानता नहीं के यादें उसकी सोने कहाँ देती हैं ..

उर्दू और हिंदी शायरी – फ़राज़ की शायरी – वो मुझसे पूछता – फ़राज़ शायरी 
यक़ीन है मुझ को वो लौट आएगा – फ़राज़ शायरी
अभी तो इश्क़ मैं ऐसा भी हाल होना है 
के अश्क़ रोकना तुम से मोहाल होना है

हर एक लब पर है मेरी वफ़ा के अफ़साने 
तेरे सितम को अभी लाजबाब होना है



तुम्हें खबर ही नहीं तुम तो लूट जाओगे 
तुम्हारे हिजर मैं इक लम्हा साल होना है

हमारी रूह पे जब भी अजब उतरें है 
तुम्हारी याद को इस दिल की ढाल होना है

कभी तो रोयेगा वो भी किसी की बाहों मैं 
कभी तो उस की हंसी को ज़वाल होना है

मिलेंगे हम को भी अपने नसीब की खुशियाँ 
बस इंतज़ार है कब यह कमाल होना है

हर एक शख्स चलेगा हमारी राहों पर 
मोहबत में हम ही वो मिसाल होना है

ज़माना जिस के ख़म -ओ -पेच में उलझा जाए 
हमारी ज़ात को ऐसा सवाल होना है

यक़ीन है मुझ को वो लौट आएगा 
उसे भी अपने किये का मलाल होना है

उर्दू और हिंदी शायरी – फ़राज़ की शायरी – अभी तो इश्क़ मैं ऐसा भी हाल होना है – फ़राज़ शायरी 
धुआं जब मेरे होंटों से निकल कर तेरा अक्स बनाता है….
मैं सिगरेट को हथेली पर
उलट कर खाली करता हूँ

फिर उस में डाल कर यादें
तुम्हारी खूब मलता हूँ

ज़रा सा ग़म मिलाता हूँ
हथेली को घूमता हूँ

बसा कर तुझ को सांसो में
में फिर सिगरेट बनता हूँ

लगा कर अपने होंटों से
मोहब्बत से जलाता हूँ

तुझे सुलगा के सिगरेट में
मैं तेरे कश लगाता हूँ

धुआं जब मेरे होंटों से
निकल कर रक़्स करता है

मेरे चारों तरफ कमरे में
तेरा अक्स बनता है

मैं उस से बात करता हूँ
वो मुझ से बात करता है

यह लम्हा बात करने का बड़ा
अनमोल होता है

तेरी यादें तेरी बातें
बड़ा माहोल होता है …!!!!

उर्दू और हिंदी शायरी – फ़राज़ की शायरी – धुआं जब मेरे होंटों से निकल कर तेरा अक्स बनता है – सिगरेट की शायरी
हम कभी मिल सकें मगर – फ़राज़ की शायरी
हम कभी मिल सकें मगर , शायद 
जिनके हम मुन्तज़र रहे, उनको मिल गए और हमसफ़र शायद

जान पहचान से भी क्या होगा 
फिर भी ऐ दोस्त , गौर कर शायद, अजनबीयत की धुंध छट जाए 
चमक उठे तेरी नज़र शायद



ज़िन्दगी भर लहू रुलाएगी 
याद -ऐ -यारां -ऐ -बेखबर शायद

जो भी बिछड़े वो कब मिले हैं ‘फ़राज़ ’
फिर भी तू इंतज़ार कर शायद ..!!!

उर्दू और हिंदी शायरी – फ़राज़ की शायरी – हम कभी मिल सकें मगर , शायद
चले भी आओ दुनिया से जा रहा है कोई – फ़राज़ की शायरी
ग़म -ऐ- हयात का झगड़ा मिटा रहा है कोई 
चले भी आओ दुनिया से जा रहा है कोई

अज़ल से कह दो रुक जाए दो घड़ी 
सुना है आने का वादा निभा रहा है कोई

वो इस नाज़ से बैठे हैं लाश के पास 
जैसे रूठे हुए को मना रहा है कोई

पलट कर न आ जाए फिर सांस नब्ज़ की फ़राज़ 
इतने हसीं हाथों से मय्यत सजा रहा है कोई

उर्दू और हिंदी शायरी – फ़राज़ की शायरी – ग़म -ऐ- हयात का झगड़ा मिटा रहा है कोई
अफ़सोस के तुझ से मेरी आदत नहीं मिली – फ़राज़
ऐसा नहीं के हम को मोहब्बत नहीं मिली 
तुम्हें चाहते थे , पर तेरी उल्फत नहीं मिली

मिलने को ज़िन्दगी में तो कई हमसफ़र मिले 
पर उन की तबियत से तबियत नहीं मिली

चेहरों में दूसरों के तुझे ढूँढ़ते रहे 
सूरत नहीं मिली कहीं सीरत नहीं मिली

बहुत देर से आया तू मेरे पास 
अल्फ़ाज़ ढूंढने की भी मोहलत नहीं मिली

तुझ को गिला है के तवज्जो न दी तुझे 
लेकिन हम को तो खुद अपनी मोहब्बत नहीं मिली

हम को तो तेरी हर आदत अच्छी लगी “फ़राज़ ”
अफ़सोस के तुझ से मेरी आदत नहीं मिली

हिंदी और उर्दू शायरी – फ़राज़ शायरी – अफ़सोस के तुझ से मेरी आदत नहीं मिली
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